लेखनी कविता -14-Aug-2024
शीर्षक -बारिश
बारिश में हम अजनबी से दोस्त बन गए हैं। यादें और यादों के साथ हम तुम मिल गये हैं। हां बीते वो पल तुम शायद भूल जो गये , तेरी दीवानगी और सूरत हम देख रहे है। वो बारिश और रिमझिम बरसात की बात है। तुमने ही तो पहला कदम जो बढ़ाया फिर, हसरत पूरी कर हमको ठुकराया क्यूं हैं। आज हम बरसात में आटो रिक्शा में, तुम बहुत बढ़िया कार में जो बैठी देखी हैं। नजर वो तुमने मिलाकर क्यूं चुराई हैं। हां धन दौलत की चमक तुमको लुभाई हैं। हां, शायद आज भी तू बारिश न भूला, पायी हैं।
नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Arti khamborkar
21-Sep-2024 09:13 AM
v nice
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